Swati Sharma

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लेखनी कविता -29-Nov-2022 कविता:-आईना

दैनिक प्रतियोगित

कविता:- आईना:-

आईना हमेशा सच बोलता है,
हृदय के सारे राज़ खोलता है।
कितना भी छुपाएं हम अंदाजे बयां,
चुपके से सारी परतें खोलता है।
आइना हमेशा सच बोलता है।
हम कभी झूठ कहें या फिर सच बोले,
मन चाहे हमारा कहीं भी डोले।
दिमाग चाहे कुछ भी छुपाए,
आईना मगर सबकुछ हमें सच बताए।
वो कहता है मान लो मेरी बात,
वर्ना, पछताओगे जब हो जाएगी सांझ।
भोर होते ही जाग जाओ,
कुछ तो सम्मान अपनी नज़र में भी कमाओ।
स्वयं को तुम पूरा कर लो स्वीकार,
आईना बस यही कहता है बार- बार।

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14 Comments

Gunjan Kamal

07-Dec-2022 09:07 AM

बहुत खूब

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Swati Sharma

07-Dec-2022 06:22 PM

शुक्रिया

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Pratikhya Priyadarshini

30-Nov-2022 09:27 PM

Bahut khoob 💐🙏

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Swati Sharma

30-Nov-2022 10:23 PM

Thank you maam 🙏🏻😇💐

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Abhilasha deshpande

29-Nov-2022 08:44 PM

Good work

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Swati Sharma

29-Nov-2022 09:33 PM

Thank you ma'am

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